Tuesday, November 07, 2017

सती क्या होती है?

सर्वप्रथम तो भारतवर्ष की समस्त
सतीयों #माताओं को मेरा कोटिश प्रणाम
सती क्या होती है?
यह नीच प्रवृत्ति का इंसान कभी नहीं समझ पायेगा,
वह उल्टा आपको ही हास्य का विषय बनायेगा।
कुछ प्रमुख सतीयों के नाम
आद्या आदि शक्ति
सती अनसूया
रानी सती
दमयन्ती
द्रौपदी
सुलक्षणा
सावित्री
मंदोदरी
पद्मावती
यह उन प्रमुख सतीयों के नाम है, जिन्होंने
सम्पूर्ण सृष्टि में भारतवर्ष की गाथाओं में
अपने स्तीतव की मिसाल कायम की है।
सतीयों के सत से ही इस पृथ्वी का अस्तित्व है।
जो स्त्री अपने स्तीतव की रक्षा के लिए अपने प्राण
तक न्योछावर कर देती है, उस स्त्री के चरित्र को
अगर कोई व्यक्ति गलत तरीके से पेश करता है तो
उससे नीच प्रवृत्ति का इंसान कोई है ही नहीं।
माँ सती ने अपने पति के साथ होने वाले
भेदभाव से ही अपने प्राण त्याग दिए,
उसका परिणाम जनश्रुति है। चिन्ता मत
करो #नारायण जग गए है। हर एक अपराध
का का दंड भोगना पड़ेगा।
अभिव्यक्ति की आजादी का जमकर लाभ उठाये।
मेरा कुमार मुकेश का आप से निवेदन है कि
पूरी पोस्ट को पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें,
तथा पोस्ट को शेयर कर सभी के सामने प्रस्तुत करे।

Friday, September 15, 2017

नवरात्री, नवदुर्गा, घटस्थापना, पूजनविधि, व्रतविधि, आरती, चालीसा, मंत्र आदी।












आरती।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी |
तुमको निशि दिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ||

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को |
उज्ज्वल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको ||
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै |
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पार साजै ||
केहरि वाहन राजत, खडूग खप्पर धारी |
सुर - नर मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ||
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती |
कोटिक चन्द्र दिवाकर, राजत सम ज्योति ||
शुम्भ निशुम्भ विदारे, महिषासुर घाती |
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मतमाती ||
चण्ड - मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे |
मधु - कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ||
ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी |
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ||
चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरु |
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरू ||
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता |
भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता ||
भुजा चार अति शोभित, वरमुद्रा धारी |
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ||
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती |
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति ||
अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावे |
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख - सम्पत्ति पावे ||

देवी वन्दना
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता  |
नमस्तस्यै  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ||

Tuesday, August 29, 2017

भारत की धार्मिक आस्‍था।

सावधान! कहीं आप अपनी राह तो नहीं भटक रहे हो?
या फिर धर्म के बदले पाप कर रहे हो?
पोस्ट को एक बार अवश्य पढे़। वेदों में कहा गया है कि धर्म भारत की आत्मा है। सभी प्रायः अपने सुखी जीवन की कामना के लिए धर्म-कर्म का मार्ग चयन करते है। लेकिन वर्तमान स्थिती में धर्म के मार्ग का चयन करना बहुत ही कठिन हो गया है। इन सब का कारण है असामाजिक तत्व व सनातन विरोधी। आज विश्वगुरु कहलाने वाले भारत की स्थिती दयनीय है। बाबा राम रहीम, रामपाल महाराज आदि धर्म के ठेकेदारों ने भारत की धार्मिक आस्था को ठेंस पंहुचायी है। इनकी काली करतूतों से भारत की छवि खराब हुई है। भारत में हुई इस शर्मशार को विदेशी मिडिया ने काफी लोकप्रिय कर भारत को अंध भक्त तथा मूर्खों की श्रेणी में खड़ा कर दिया हैं। विदेशी मिडिया ने भारतीय छवि को जिस प्रकार प्रकाशित किया है उस प्रकार से लगता है कि वास्तव में हम भक्त नहीं अंधभक्त ही है। धर्म क्या है? वास्तम में हम धर्म से अनजान है तभी तो एक बलात्कारी, हत्यारे व कलंकित व्यक्ति के लिए अपनी जान तक खतरे में डाल देते है, सरकारी सम्पति को नुकसान पंहुचाते है, आग लगाते है, जन हानि करते है क्या यहीं सिखाते है डेरों में? क्या ऐसे ही ज्ञान देने वाले है गुरू? अगर ऐसा ही है तो थू है ऐसे गुरू पर, मैनें अपनी एक फेसबुक पोस्ट के माध्यम से पहले ही कहा है कि साधु का काम जनकल्याण होता है न कि भोग-विलास करना। अपने आप को भगवान कहने वाले पाखंड़ी, बलात्‍कारी को न्यायधिक्ष के समक्ष हाथ जोड़कर रोता देखा गया। वास्तविकता क्या है इसको जानने के लिए हम कभी भी प्रयत्न नहीं करते है। हम भी भेड़चाल का अनुसरण करने लगे है। अभी भी वक्त है अपनी आंखों की काली पट्टी को हटाकर वेदों का अनुसरण कर धर्म का मार्ग चयन करों। वेदों की और लोटों। अगर आपको #कुमार_मुकेश की यह पोस्ट पसंद आये तो शेयर करना ना भूलें ताकि सभी तक यह पोस्ट पंहुच सके। सध्यन्यवाद! जय सनातन।

Friday, October 28, 2016

श्री धन्वन्तरि जयंती।

 भगवान धन्वन्तरि के प्राकट्योत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं। आज का दिन आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वन्तरि की जयंती के रूप में मनाया जाता है। सर्वाधिक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली के रूप में आयुर्वेद विश्व को भारत की अनमोल देन है। सभी के सुस्वास्थ्य तथा दीर्घायुष्य की कामना के साथ धन्वन्तरि जयंती की शुभकामनाएँ। आज का दिन आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वन्तरि की जयंती के रूप में मनाया जाता है। सर्वाधिक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली के रूप में आयुर्वेद विश्व को भारत की अनमोल देन है। सभी के सुस्वास्थ्य तथा दीर्घायुष्य की कामना के साथ धन्वन्तरि जयंती की शुभकामनाएँ।

Monday, September 05, 2016

गणेश वंदना।


वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्यसमप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
हे वक्रतुण्ड, महाकाय, करोड़ों सूर्यों के समान आभा वाले देव (गणेश), मेरे सभी कार्यों में विघ्नो का अभाव करो, अर्थात् वे बिना विघ्नों के संपन्न होवें।

किसी भी पूजा-अर्चना या शुभ कार्य को सम्पन्न कराने से पूर्व गणेश जी की आराधना की जाती है।
गणेशजी को वक्रतुण्ड पुकारा गया है। तुण्ड का सामान्य अर्थ मुख या चोंच होता है, किंतु यह हाथी की सूंड़ को भी व्यक्त करता है। गणेश यानी टेढ़ीमेढ़ी सूंड़ वाले। उनका पेट या तोंद फूलकर बढ़ा हुआ, अथवा भारीभरकम है, अतः वे महाकाय– स्थूल देह वाले – हैं। उनकी चमक करोड़ों सूर्यों के समान है। यह कथन अतिशयोक्ति से भरा है। प्रार्थनाकर्ता का तात्पर्य है कि वे अत्यंत तेजवान् हैं। निर्विघ्न शब्द प्रायः विशेषण के तौर पर प्रयुक्त होता है, किंतु यहां यह संज्ञा के रूप में है, जिसका अर्थ है विघ्न-बाधाओं का अभाव। तदनुसार निहितार्थ निकलता है सभी कार्यों में ‘विघ्न-बाधाओं का अभाव’ रहे ऐसी कृपा करो, अर्थात् विघ्न-बाधाएं न हों।

Thursday, August 25, 2016

कृष्ण जन्माष्टमी।

कृष्ण जन्माष्टमी।
इंद्र ने नारदजी से कहा- हे ऋषि इस कृष्ण जन्माष्टमी का पूर्ण विधान बताएं एवं इसके करने से क्या पुण्य प्राप्त होता है, इसके करने की क्या विधि है? नारदजी ने कहा- हे इंद्र! भाद्रपद मास की कृष्णजन्माष्टमी को इस व्रत को करना चाहिए। उस दिन ब्रह्मचर्य आदि नियमों का पालन करते हुए श्रीकृष्ण का स्थापन करना चाहिए। सर्वप्रथम श्रीकृष्ण की मूर्ति स्वर्ण कलश के ऊपर स्थापित कर चंदन, धूप, पुष्प, कमलपुष्प आदि से श्रीकृष्ण प्रतिमा को वस्त्र से वेष्टित कर विधिपूर्वक अर्चन करें। गुरुचि, छोटी पीतल और सौंठ को श्रीकृष्ण के आगे अलग-अलग रखें। इसके पश्चात भगवान विष्णु के दस रूपों को देवकी सहित स्थापित करें। हरि के सान्निध्य में भगवान विष्णु के दस अवतारों, गोपिका, यशोदा, वसुदेव, नंद, बलदेव, देवकी, गायों, वत्स, कालिया, यमुना नदी, गोपगण और गोपपुत्रों का पूजन करें। इसके पश्चात आठवें वर्ष की समाप्ति पर इस महत्वपूर्ण व्रत का उद्यापन कर्म भी करें। यथाशक्ति विधान द्वारा श्रीकृष्ण की स्वर्ण प्रतिमा बनाएँ। इसके पश्चात 'मत्स्य कूर्म' इस मंत्र द्वारा अर्चनादि करें। आचार्य ब्रह्मा तथा आठ ऋत्विजों का वैदिक रीति से वरण करें। प्रतिदिन ब्राह्मण को दक्षिणा और भोजन देकर प्रसन्न करें।

पूर्ण विधि।
उपवास की पूर्व रात्रि को हल्का भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें। उपवास के दिन प्रातःकाल स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएँ। पश्चात सूर्य, सोम, यम, काल, संधि, भूत, पवन, दिक्‌पति, भूमि, आकाश, खेचर, अमर और ब्रह्मादि को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर मुख बैठें। इसके बाद जल, फल, कुश और गंध लेकर संकल्प करें-
ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये॥
अब मध्याह्न के समय काले तिलों के जल से स्नान कर देवकीजी के लिए 'सूतिकागृह' नियत करें। तत्पश्चात भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। मूर्ति में बालक श्रीकृष्ण को स्तनपान कराती हुई देवकी हों और लक्ष्मीजी उनके चरण स्पर्श किए हों अथवा ऐसे भाव हो। इसके बाद विधि-विधान से पूजन करें। पूजन में देवकी, वसुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी इन सबका नाम क्रमशः निर्दिष्ट करना चाहिए।
फिर निम्न मंत्र से पुष्पांजलि अर्पण करें- 'प्रणमे देव जननी त्वया जातस्तु वामनः।
वसुदेवात तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नमः।
सुपुत्रार्घ्यं प्रदत्तं में गृहाणेमं नमोऽस्तु ते।'
अंत में प्रसाद वितरण कर भजन-कीर्तन करते हुए रतजगा करें।

उद्देश्य।
जो व्यक्ति जन्माष्टमी के व्रत को करता है, वह ऐश्वर्य और मुक्ति को प्राप्त करता है। आयु, कीर्ति, यश, लाभ, पुत्र व पौत्र को प्राप्त कर इसी जन्म में सभी प्रकार के सुखों को भोग कर अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है। जो मनुष्य भक्तिभाव से श्रीकृष्ण की कथा को सुनते हैं, उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। वे उत्तम गति को प्राप्त करते हैं।