सावधान! कहीं आप अपनी राह तो नहीं भटक रहे हो?
या फिर धर्म के बदले पाप कर रहे हो?
पोस्ट को एक बार अवश्य पढे़। वेदों में कहा गया है कि धर्म भारत की आत्मा है। सभी प्रायः अपने सुखी जीवन की कामना के लिए धर्म-कर्म का मार्ग चयन करते है। लेकिन वर्तमान स्थिती में धर्म के मार्ग का चयन करना बहुत ही कठिन हो गया है। इन सब का कारण है असामाजिक तत्व व सनातन विरोधी। आज विश्वगुरु कहलाने वाले भारत की स्थिती दयनीय है। बाबा राम रहीम, रामपाल महाराज आदि धर्म के ठेकेदारों ने भारत की धार्मिक आस्था को ठेंस पंहुचायी है। इनकी काली करतूतों से भारत की छवि खराब हुई है। भारत में हुई इस शर्मशार को विदेशी मिडिया ने काफी लोकप्रिय कर भारत को अंध भक्त तथा मूर्खों की श्रेणी में खड़ा कर दिया हैं। विदेशी मिडिया ने भारतीय छवि को जिस प्रकार प्रकाशित किया है उस प्रकार से लगता है कि वास्तव में हम भक्त नहीं अंधभक्त ही है। धर्म क्या है? वास्तम में हम धर्म से अनजान है तभी तो एक बलात्कारी, हत्यारे व कलंकित व्यक्ति के लिए अपनी जान तक खतरे में डाल देते है, सरकारी सम्पति को नुकसान पंहुचाते है, आग लगाते है, जन हानि करते है क्या यहीं सिखाते है डेरों में? क्या ऐसे ही ज्ञान देने वाले है गुरू? अगर ऐसा ही है तो थू है ऐसे गुरू पर, मैनें अपनी एक फेसबुक पोस्ट के माध्यम से पहले ही कहा है कि साधु का काम जनकल्याण होता है न कि भोग-विलास करना। अपने आप को भगवान कहने वाले पाखंड़ी, बलात्कारी को न्यायधिक्ष के समक्ष हाथ जोड़कर रोता देखा गया। वास्तविकता क्या है इसको जानने के लिए हम कभी भी प्रयत्न नहीं करते है। हम भी भेड़चाल का अनुसरण करने लगे है। अभी भी वक्त है अपनी आंखों की काली पट्टी को हटाकर वेदों का अनुसरण कर धर्म का मार्ग चयन करों। वेदों की और लोटों। अगर आपको #कुमार_मुकेश की यह पोस्ट पसंद आये तो शेयर करना ना भूलें ताकि सभी तक यह पोस्ट पंहुच सके। सध्यन्यवाद! जय सनातन।
या फिर धर्म के बदले पाप कर रहे हो?
पोस्ट को एक बार अवश्य पढे़। वेदों में कहा गया है कि धर्म भारत की आत्मा है। सभी प्रायः अपने सुखी जीवन की कामना के लिए धर्म-कर्म का मार्ग चयन करते है। लेकिन वर्तमान स्थिती में धर्म के मार्ग का चयन करना बहुत ही कठिन हो गया है। इन सब का कारण है असामाजिक तत्व व सनातन विरोधी। आज विश्वगुरु कहलाने वाले भारत की स्थिती दयनीय है। बाबा राम रहीम, रामपाल महाराज आदि धर्म के ठेकेदारों ने भारत की धार्मिक आस्था को ठेंस पंहुचायी है। इनकी काली करतूतों से भारत की छवि खराब हुई है। भारत में हुई इस शर्मशार को विदेशी मिडिया ने काफी लोकप्रिय कर भारत को अंध भक्त तथा मूर्खों की श्रेणी में खड़ा कर दिया हैं। विदेशी मिडिया ने भारतीय छवि को जिस प्रकार प्रकाशित किया है उस प्रकार से लगता है कि वास्तव में हम भक्त नहीं अंधभक्त ही है। धर्म क्या है? वास्तम में हम धर्म से अनजान है तभी तो एक बलात्कारी, हत्यारे व कलंकित व्यक्ति के लिए अपनी जान तक खतरे में डाल देते है, सरकारी सम्पति को नुकसान पंहुचाते है, आग लगाते है, जन हानि करते है क्या यहीं सिखाते है डेरों में? क्या ऐसे ही ज्ञान देने वाले है गुरू? अगर ऐसा ही है तो थू है ऐसे गुरू पर, मैनें अपनी एक फेसबुक पोस्ट के माध्यम से पहले ही कहा है कि साधु का काम जनकल्याण होता है न कि भोग-विलास करना। अपने आप को भगवान कहने वाले पाखंड़ी, बलात्कारी को न्यायधिक्ष के समक्ष हाथ जोड़कर रोता देखा गया। वास्तविकता क्या है इसको जानने के लिए हम कभी भी प्रयत्न नहीं करते है। हम भी भेड़चाल का अनुसरण करने लगे है। अभी भी वक्त है अपनी आंखों की काली पट्टी को हटाकर वेदों का अनुसरण कर धर्म का मार्ग चयन करों। वेदों की और लोटों। अगर आपको #कुमार_मुकेश की यह पोस्ट पसंद आये तो शेयर करना ना भूलें ताकि सभी तक यह पोस्ट पंहुच सके। सध्यन्यवाद! जय सनातन।
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