माँ की ममता। जन्म दात्री ममता की पवित्र मूर्ति रक्त कणो से अभिसिंचित कर नव पुष्प खिलाती स्नेह निर्झर झरता माँ की मृदु लोरी से हर पल अंक से चिपटाए उर्जा भरती प्राणो में विकसित होती पंखुडिया ममता की छावो में सब कुछ न्यौछावर उस ममता की वेदी पर जिसके आँचल की साया में हर सुख का सागर!
जय माँ…
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