Wednesday, January 27, 2016

स्त्री आत्मकथा।

स्त्री आत्मकथा।

मैं ना तो माँ हूँ ना ही बहन हूँ,
ना ही बेटी हूँ और ना ही पत्नि हूँ
मैं तो केवल एक भोग्या हूँ
चाहे में आठ की हूँ या साठ की हूँ
मैं तो केवल एक समान हूँ
तो हे मर्द प्रधान समाज के बहादुर मर्दों
आओ मुझपर अपनी मर्दानगी दिखाओ
मैं परमपिता परमेश्वर की वो कृति हूँ
जिसके साथ कही भी कभी भी
और कैसे भी केवल और केवल
बलात्कार ही किया जा सकता है, स्वागत है!

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