Tuesday, February 17, 2015

लिंगपूजन का महत्व।



लिंगपूजन का महत्व।
श्रीशिवमहापुराण के अनुसार- महेश्वर बोले पुत्रों! आज का दिन एक महान दिन है। इसमें तुम्हारे द्वारा जो आज मेरी पूजा हुई है, इससे मैं तुम लोगों पर बहुत प्रसन्न हँ।

जो शिवरात्रि को दिन-रात निराहार एवं जितेन्द्रिय रहकर अपनी शक्ति के अनुसार निश्चल भाव से मेरी यथोचित पूजा करेगा, उसको मिलने वाले फल का वर्णन सुनो। एक वर्ष तक निरन्तर मेरी पूजा करने पर जो फल मिलता है, वह सारा फल केवल शिवरात्रि को मेरा पूजन करने से मनुष्य तत्काल प्राप्त कर लेता है।

जैसे पूर्ण चन्द्रमा का उदय समुद्र की वृद्धि का अवसर है, उसी प्रकार यह शिवरात्रि तिथि मेरे धर्म की वृद्धि का समय है। इस तिथि में मेरी स्थापना आदि का मंगलमय उत्सव होना चाहिये।

पहले मैं जब ‘ज्योतिर्मय स्तम्भ रूप से प्रकट हुआ था, वह समय मार्गषीर्श में आर्द्रा नक्षत्र से युक्त पूर्णमासी या प्रतिपदा है। जो पुरूष मार्गषीर्श मास में आर्द्रा नक्षत्र होने पर पार्वती सहित मेरा दर्शन करता है अथवा मेरी मूत्ति या लिंग की ही झाँकी करता है, वह मेरे लिए कार्तिकेय से भी अधिक प्रिय है।

इस शुभ दिन को मेरे दर्शन मात्र से पूरा फल प्राप्त होता है। यदि दर्शन के साथ-साथ मेरा पूजन भी किया जाय तो इतना अधिक फल प्राप्त होता है कि उसका वाणीद्वारा वर्णन नहीं हो सकता।

1 comment: