Sunday, August 16, 2015

"भय का निवारण करते है".....भैरव।


"भय का निवारण करते है".....भैरव।
बटुक भैरव शिवांश है तथा शाक्त उपासना में इनके बिना आगे बढना संभव ही नहीं है। शक्ति के किसी भी रूप की उपासना हो भैरव पूजन कर उनकी आज्ञा लेकर ही माता की उपासना होती है। भैरव रक्षक है साधक के जीवन में बाधाओं को दूर कर साधना मार्ग सरल सुलभ बनाते है।

भैरव कृपा।
भैरव भक्त वत्सल है शीघ्र ही सहायता करते है, भरण, पोषण के साथ रक्षा भी करते है। ये शिव के अतिप्रिय तथा माता के लाडले है, इनके आज्ञा के बिना कोई शक्ति उपासना करता है तो उसके पुण्य का हरण कर लेते है कारण दिव्य साधना का अपना एक नियम है जो गुरू परम्परा से आगे बढता है। अगर कोई उदण्डता करे तो वो कृपा प्राप्त नहीं कर पाता है। भैरव सिर्फ शिव माँ के आज्ञा पर चलते है वे शोधन, निवारण, रक्षण कर भक्त को लाकर भगवती के सन्मुख खड़ा कर देते है। इस जगत में शिव ने जितनी लीलाएं की है उस लीला के ही एक रूप है भैरव। भैरव या किसी भी शक्ति के तीन आचार जरूर होते है, जैसा भक्त वैसा ही आचार का पालन करना पड़ता है। ये भी अगर गुरू परम्परा से मिले वही करना चाहिए। आचार में सात्वीक ध्यान पूजन, राजसिक ध्यान पूजन, तथा तामसिक ध्यान पूजन करना चाहिए। भय का निवारण करते है भैरव।

भैरव स्वरुप।
इस जगत में सबसे ज्यादा जीव पर करूणा शिव करते है और शक्ति तो सनातनी माँ है इन दोनो में भेद नहीं है कारण दोनों माता पिता है, इस लिए करूणा, दया जो इनका स्वभाव है वह भैरव जी में विद्यमान है। सृष्टि में आसुरी शक्तियां बहुत उपद्रव करती है, उसमें भी अगर कोई विशेष साधना और भक्ति मार्ग पर चलता हो तो ये कई एक साथ साधक को कष्ट पहुँचाते है, इसलिए अगर भैरव कृपा हो जाए तो सभी आसुरी शक्ति को भैरव बाबा मार भगाते है, इसलिये ये साक्षात रक्षक है।

काल भैरव ।
भूत बाधा हो या ग्रह बाधा, शत्रु भय हो रोग बाधा सभी को दूर कर भैरव कृपा प्रदान करते है। अष्ट भैरव प्रसिद्ध है परन्तु भैरव के कई अनेको रूप है सभी का महत्व है परन्तु बटुक सबसे प्यारे है। नित्य इनका ध्यान पूजन किया जाय तो सभी काम बन जाते है, जरूरत है हमें पूर्ण श्रद्धा से उन्हें पुकारने की, वे छोटे भोले शिव है, दौड़ पड़ते है भक्त के रक्षा और कल्याण के लिए।

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