आवश्यक बातें।
शयन - सदा पूर्व या दक्षिण की तरफ सिर करके सोना चहिये। उत्तर या पश्चिम की तरफ सिर करके सोने से आयु क्षीण होती है तथा शरीर में रोग उत्पन्न होते है। पूर्व की तरफ सिर रख कर सोने से विधा प्राप्त होती है।दक्षिण की तरफ सिर रख कर सोने से धन और आयु की वृद्धि होती है। पश्चिम की तरफ सिर रख कर सोने से प्रबल चिंता होती है। उत्तर की तरफ सिर रख कर सोने से हानि तथा मृत्यु होती है, अथार्त आयु क्षीण होती है। विश्वकर्मप्रकाश में ऐसी बात आती है कि अपने घर में पूर्व की तरफ सिर रख करके , ससुराल में दक्षिण की तरफ सिर रख करके और परदेश ( विदेश ) में पश्चिम की तरफ सिर रख करके सोयें, पर उत्तर की तरफ सिर रख करके कभी न सोयें। मरणासन्न व्यक्ति का सिर उत्तर की तरफ रखना चाहिये और मृत्यु के बाद अंत्येष्ठी - संष्कार के समय उसका सिर दक्षिण की तरफ रखना चहिये।
धन - सम्पति चाहने वाले मनुष्य को अन्न ,गौ , गुरु , अग्नि और देवता के स्थान के ऊपर नहीं सोना चाहिये। तात्पर्य है , कि अन्न - भण्डार , गौशाला , गुरूस्थान , रसोई और मन्दिर के ऊपर शयनकक्ष नहीं होना चाहिये।
शौच - दिन में उत्तर की ओर तथा रात में दक्षिण की ओर मुख करके मल-मूत्र का त्याग करना चाहिए। ऐसा करने से आयु क्षीण (कम) नहीं होती। प्रातः पूर्व की ओर तथा रात्रि पश्चिम की ओर मुख करके मल - मूत्र का त्याग करने से रोग होता है।
भोजन - भोजन सदा पूर्व अथवा उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिये।
दक्षिण अथवा पश्चिम की ओर मुख करके भोजन नहीं करना चाहिये।
दक्षिण की ओर मुख करके भोजन करने से उस भोजन में राक्षसी प्रभाव आ जाता है।
पूर्व की ओर मुख करके भोजन करने से मनुष्य की आयु बढ़ती है,
दक्षिण की ओर मुख करके भोजन करने से मनुष्य में प्रेतत्व की प्राप्ति होती है,
पश्चिम की ओर मुख करके भोजन करने से मनुष्य रोगी होता है और उत्तर की
ओर मुख करके भोजन करने से मनुष्य की आयु तथा धन की प्राप्ति होती है।
दक्षिण की ओर मुख करके भोजन करने से मनुष्य में प्रेतत्व की प्राप्ति होती है,
पश्चिम की ओर मुख करके भोजन करने से मनुष्य रोगी होता है और उत्तर की
ओर मुख करके भोजन करने से मनुष्य की आयु तथा धन की प्राप्ति होती है।
जय श्री हरि:
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