Wednesday, March 04, 2015

संजीवनी बूटी।

संजीवनी बूटी।
भगवान राम बालि पुत्र अंगद को संधि प्रस्ताव लेकर लंका भेजा, लेकिन रावण ने संधि प्रस्ताव ठुकरा दिया। यह समाचार और श्री राम की आज्ञा मिलते ही वानर राज सुग्रीव और हनुमान जी की अगुवाई में वानर सेना हर-हर महादेव और जय श्रीराम का उद्घोष करते हुए लंका पर चढ़ाई कर दी। उधर रावण की राक्षसी सेना भी युद्ध का शंखनाद करने लगी। दोनों दलों के योद्धाओं के बीच युद्ध शुरू हुआ तो मेघनाथ की शक्ति लगने से लक्ष्मण मूर्छित हो गए। तब अंजनी पुत्र हनुमान ने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण की जान बचाई। एक-एक कर राम व लक्ष्मण ने रावण की सेना के कई योद्धाओं को मार गिराया। अंत में रावण को खुद युद्ध भूमि पर आना पड़ा।

युद्ध के मंचन में मेघनाद और लक्ष्मण के बीच भीषण संग्राम हुआ। मेघनाद ने आसुरी शक्तियों का प्रयोग कर लक्ष्मण को अमोघ शक्ति से मूर्छित कर देता है। लक्ष्मण के रणभूमि पर गिरते ही श्रीराम की सेना में खलबली मच गई। प्रभु भी शोक में डूब गए। तब बजरंगबली लंका से सुषेन वैद्य को ले आए। उन्होंने बताया कि सूर्योदय से पहले संजीवनी बूटी मिलने से लक्ष्मण के प्राण बच सकते हैं। यह सुन हनुमान जी पूरा पर्वत ही उठा लाए जिसमें संजीवनी बूटी थी। वैद्य द्वारा संजीवनी बूटी से लक्ष्मण का इलाज करते हैं। लक्ष्मण थोड़ी देर में उठकर बैठ जाते हैं। इसके बाद शेषावतार लक्ष्मण और इंद्रजीत में फिर भीषण युद्ध होता है। लक्ष्मण मेघनाद का वध कर देते हैं। इसके बाद भगवान राम रावण के भाई कुंभकरण से युद्ध कर उसका संहार करते हैं। इंद्रजीत और कुंभकरण जैसे वीर योद्धाओं का वध होने की सूचना मिलते ही रावण आवेश और क्रोध से पागल हो उठता है। अंत में वह स्वयं रणभूमि में आता है।

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