प्राण रक्षा मंत्र।
प्राणस्त्वं सर्वभूतानां योनिश्च सरितां पते।
तीर्थराज नमस्तेऽस्तु त्राहि मामच्युतप्रिय।।
(ना0 उतर0 57।2)
'सरिताओं के स्वामी तीर्थराज! आप सम्पूर्ण भूतों के प्राण और योनि है। आपको नमस्कार है। अच्युतप्रिय! मेरी रक्षा कीजिये।'
जय श्री हरि:
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