Sunday, May 31, 2015

सूर्य मंत्र।


सूर्य मंत्र।
आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने ।
जन्मान्तरसहस्रेषु दारिद्र्यं नोपजायते ।।
अर्थ : जो लोग सूर्य को प्रतिदिन नमस्कार करते हैं, उन्हें सहस्रों जन्म दरिद्रता प्राप्त नहीं होती ।

रविवार का दिन सूर्य उपासना के लिए सबसे उत्तम माना गया है। इस दिन सूर्य को जल चढ़ाने, मंत्र का जाप करने और सूर्य नमस्कार करने से बल, बुद्धि, विद्या, वैभव, तेज, ओज, पराक्रम व दिव्यता आती है। प्रस्तुत है ‘राष्ट्रवर्द्धन’ सूक्त से लिया गया सूर्य का दुर्लभ मं‍त्र -
‘उदसौ सूर्यो अगादुदिदं मामकं वच:।
यथाहं शत्रुहोऽसान्यसपत्न: सपत्नहा।।
सपत्नक्षयणो वृषाभिराष्ट्रो विष सहि:।
यथाहभेषां वीराणां विराजानि जनस्य च।।’

सूर्य की पहली किरण ही दिन की शुरुआत में ही सफलता की ऐसी प्रेरणा देती है। दरअसल, सूर्य की रोशनी, गति, पथ और निश्चित दिशा में उदय ही नहीं अस्त होने पर गौर करें तो व्यावहारिक रूप से सूर्य की चमक से ज्ञान प्राप्ति, गति से कर्म, पथ व दिशा से अनुशासन व मनोयोग की सीख मिलती है। इससे कोई भी लक्ष्य भेदना संभव है। इसलिए धार्मिक दृष्टि से सूर्य उपासना भी निरोगी जीवन के साथ यश, सम्मान व प्रतिष्ठा देने वाली मानी गई है। यही वजह है कि हर सुबह खासतौर पर रविवार को सूर्य उपासना के लिए शास्त्रों में सुबह सूरज के सामने कुछ विशेष मंत्र का स्मरण मात्र भी बेजोड़ सफलता से पद, प्रतिष्ठा देने वाला माना गया है।

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