Thursday, September 03, 2015

भगवान बलरामजी।


भगवान बलरामजी।
भगवान श्री कृष्ण के भाई बलराम जी के बारे में कहा जाता है कि यह शेषनाग के अवतार थे। शेष के अवतार होने के कारण यह अपने क्रोध पर काबू नहीं रख पाते थे। शास्त्रों में कहा गया है कि मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन क्रोध है। इसी के कारण बलराम जी से ऐसी गलती हुई कि पूरा संत समाज इनके विरुद्घ हो गया। संतों ने कहा आपने महापाप किया है और इसका प्रायश्चित करना होगा।

वेदव्यास जी के प्रिय शिष्य सूत जी थे। सूत जी पुराणों के ज्ञाता थे और ऋषियों के आश्रम में जाकर पुराण कथा सुनाया करते थे। संतों के बीच इनका बड़ा आदर था। एक बार सूत जी पुराण कथा सुना रहे थे। इसी बीच दाऊ बलराम कहीं से आश्रम में पहुंच गए। बलराम जी को देखते ही सभी संत खड़े होकर नमस्कार करने लगे। लेकिन पुराण कथा सुना रहे व्यास जी अपने आसान पर बैठे रहे। क्योंकि पुराण कथा सुनाते समय बीच में उठना नियम विरुद्घ था। बलराम जी ने समझा कि सूत जी उनका अनादर कर रहे हैं।

क्रोध में आकर बलराम जी ने अपनी तलवार से सूत जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। संत समाज बलराम जी के इस व्यवहार से हैरान रह गया। संतों ने बलराम जी से कहा कि आपने एक निर्दोष ब्राह्मण की हत्या करके महापाप किया है। आपको ब्रह्महत्या का पाप लगेगा।

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