Friday, December 25, 2015

तुलसी पूजा।

तुलसी पूजा।
तुलसीकाननं चौव गृ‍हे यस्वावतिष्ठीते।
तदगृहं तीर्थभूतं हि नायांन्ति यमकिंकरा:।।
तुलसीमंजरीभिर्य: कुयाद्धरिहर्रानम।
स न गर्भगृहं याति मुक्तिभागी भवेन्नरर:।।
जिस वयक्ति के घर में तुलसी का पौधा होता है वह घर तीर्थ के समान है। वहां मृत्यु के देवता यमराज नहीं आते है। जो मनुष्य तुलसीमंजरी से भगवान श्रीहरी की पूजा करता है उसे फिर गर्भ में नहीं आना पडता अर्थात उसे पुन: धरती पर जन्म नहीं लेना पडता है। सुख-शांति, समृद्धि व आरोग्य प्रदायिनी तुलसी का स्थान भारतीय संस्कृति में पवित्र और महत्त्वपूर्ण है। यह माँ के समान सभी प्रकार से हमारा रक्षण व पोषण करती है। तुलसी पूजन, सेवन व रोपण से आरोग्य-लाभ, आर्थिक लाभ के साथ ही आध्यात्मिक लाभ भी होते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार ‘जिस घर में प्रतिदिन तुलसी-पूजा होती है उसमें यमदूत प्रवेश नहीं करते।
घर मे तुलसी की उपस्थितिमात्र से हलके स्पंदनों, नकारात्मक शक्तियों एवं दुष्ट विचारों से रक्षा होती है।
गरुड पुराण के अनुसार ‘तुलसी का वृक्ष लगाने, पालन करने, सींचने तथा ध्यान, स्पर्श और गुणगान करने से पूर्व जन्मार्जित पाप जलकर विनष्ट हो जाते हैं। तुलसी पूजन से बुद्धिबल, मनोबल, चारित्र्यबल व आरोग्यबल बढेगा । मानसिक अवसाद, आत्महत्या आदि से लोगों की रक्षा होगी और लोगों को भारतीय संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषि-विज्ञान का लाभ मिलेगा । तुलसी की उपस्थिति मात्र से हलके स्पंदनों, नकारात्मक शक्तियों एवं दुष्ट विचारों से रक्षा होती है । ईशान कोण में तुलसी लगाने से तथा पूजा के स्थान पर गंगाजल रखने से बरकत होती है । तुलसी पूजन दिवस के दिन शुद्ध भाव व भक्ति से तुलसी के पौधे की १०८ परिक्रमा करने से दरिद्रता दूर होती है।

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