Thursday, December 03, 2015

श्रीकालभैरव।

श्रीकालभैरव।
भैरव का अर्थ होता है भय का हरण कर जगत का भरण करने वाला। ऐसा भी कहा जाता है कि भैरव शब्द के तीन अक्षरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्ति समाहित है। भैरव शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते हैं। हिंदू देवताओं में भैरव का बहुत ही महत्व है। इन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है।

भैरव का जन्म: काल भैरव का आविर्भाव मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी को प्रदोषकाल में हुआ था। पुराणों में उल्लेख है कि शिव के रूधिर से भैरव की उत्पत्ति हुई। बाद में उक्त रूधिर के दो भाग हो गए- पहला बटुक भैरव और दूसरा काल भैरव। भगवान भैरव को असितांग, रुद्र, चंड, क्रोध, उन्मत्त, कपाली, भीषण और संहार नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव के पाँचवें अवतार भैरव को भैरवनाथ भी कहा जाता है। नाथ सम्प्रदाय में इनकी पूजा का विशेष महत्व है।

भगवान काल भैरव से जुड़े कुछ तथ्य -
1. काल भैरव भगवान शिव का अत्यन्त ही उग्र तथा तेजस्वी स्वरूप है।
2. सभी प्रकार के पूजन , हवन , प्रयोग में रक्षार्थ इनका पुजन होता है।
3. ब्रह्मा का पांचवां शीश खंडन भैरव ने ही किया था।
4. इन्हे काशी का कोतवाल माना जाता है।

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