Monday, April 20, 2015

भगवान परशुराम।


भगवान परशुराम।
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। कुछ स्थानों पर इसे आखा तीज भी कहते हैं।

हिंदू पंचांग के मुताबिक वर्ष के दूसरे महीने वैशाख के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अक्षय तृतीया कहलाती है। इस तिथि पर किए गए दान-धर्म का अक्षय यानी कभी नाश न होने वाला फल व पुण्य मिलता है। इसलिए यह सनातन धर्म में दान-धर्म का अचूक काल माना गया है। इसे चिरंजीवी तिथि भी कहते हैं, क्योंकि यह तिथि 8 चिरंजीवियों में एक भगवान परशुराम की जन्म तिथि भी है। हिन्दू धर्म मान्यताओं में किसी भी शुभ काम के लिए साल के स्वयं सिद्ध मुहूर्तों में आखा तीज भी एक है।

शास्त्रों के मुताबिक- स्नात्वा हुत्वा य दत्वा य जप्त्वानन्तफलं लभेत्।
यानी इस दिन किए जाने वाले स्नान, हवन, जप सहित सभी काम और दिया हुआ दान अक्षय होता है। यानी इनका क्षय नहीं होता है और ये अनन्त फल देते हैं। इसीलिए यह शुभ तिथि अक्षय तृतीया के नाम से जानी जाती है।

शास्त्रों के मुताबिक वैशाख माह विष्णु भक्ति का शुभ काल है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस माह की अक्षय तृतीया को ही भगवान विष्णु के नर-नरायण, हयग्रीव और परशुराम अवतार हुए थे। इसलिए इस दिन परशुराम जयंती, नर-नारायण जयंती भी मनाई जाती है। त्रेतायुग की शुरुआत भी इसी शुभ तिथि से मानी जाती है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा भी पुण्यदायी व महामंगलकारी मानी जाती है।

1 comment:

  1. जय श्री भगवान परशुराम...

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