Sunday, April 26, 2015

पुराण संख्या।

पुराण संख्या।
अट्ठारह पुराण-
मद्वयं भद्वयं चैव ब्रत्रयं वचतुष्टयम्।
अनापलिंगकूस्कानि पुराणानि प्रचक्षते॥
म-2, भ-2, ब्र-3, व-4।
अ-1,ना-1, प-1, लिं-1, ग-1, कू-1, स्क-1॥
विष्णु पुराण के अनुसार उनके नाम ये हैं—विष्णु, पद्म, ब्रह्म, वायु(शिव), भागवत, नारद, मार्कण्डेय, अग्नि, ब्रह्मवैवर्त, लिंग, वाराह, स्कंद, वामन, कूर्म, मत्स्य, गरुड, ब्रह्मांड और भविष्य।

ब्रह्म पुराण
पद्म पुराण
विष्णु पुराण
वायु पुराण -- (शिव पुराण)
भागवत पुराण -- (देवीभागवत पुराण)
नारद पुराण
मार्कण्डेय पुराण
अग्नि पुराण
भविष्य पुराण
ब्रह्म वैवर्त पुराण
लिङ्ग पुराण
वाराह पुराण
स्कन्द पुराण
वामन पुराण
कूर्म पुराण
मत्स्य पुराण
गरुड़ पुराण
ब्रह्माण्ड पुराण

पुराणों में एक विचित्रता यह है कि प्रत्येक पुराण में अठारहो पुराणों के नाम और उनकी श्लोकसंख्या है। नाम और श्लोकसंख्या प्रायः सबकी मिलती है, कहीं कहीं भेद है। जैसे कूर्म पुराण में अग्नि के स्थान में वायुपुराण; मार्कंडेय पुराण में लिंगपुराण के स्थान में नृसिंहपुराण; देवीभागवत में शिव पुराण के स्थान में नारद पुराण और मत्स्य में वायुपुराण है। भागवत के नाम से आजकल दो पुराण मिलते हैं—एक श्रीमद्भागवत, दूसरा देवीभागवत। कौन वास्तव में पुराण है इसपर झगड़ा रहा है। रामाश्रम स्वामी ने 'दुर्जनमुखचपेटिका' में सिद्ध किया है कि श्रीमद्भागवत ही पुराण है। इसपर काशीनाथ भट्ट ने 'दुर्जनमुखमहाचपेटिका' तथा एक और पंडित ने 'दुर्जनमुखपद्यपादुका' देवीभागवत के पक्ष में लिखी थी।

उपपुराण
गणेश पुराण
श्री नरसिंह पुराण
कल्कि पुराण
एकाम्र पुराण
कपिल पुराण
दत्त पुराण
श्रीविष्णुधर्मौत्तर पुराण
मुद्गगल पुराण
सनत्कुमार पुराण
शिवधर्म पुराण
आचार्य पुराण
मानव पुराण
उश्ना पुराण
वरुण पुराण
कालिका पुराण
महेश्वर पुराण
साम्ब पुराण
सौर पुराण
पराशर पुराण
मरीच पुराण
भार्गव पुराण

अन्यपुराण तथा ग्रन्थ-
हरिवंश पुराण
सौरपुराण
महाभारत
श्रीरामचरितमानस
रामायण
श्रीमद्भगवद्गीता
गर्ग संहिता
योगवासिष्ठ
प्रज्ञा पुराण

श्लोक संख्या-
सुखसागर के अनुसारः-
ब्रह्मपुराण में श्लोकों की संख्या १४००० और २४६ अद्धयाय है|
पद्मपुराण में श्लोकों की संख्या ५५००० हैं।
विष्णुपुराण में श्लोकों की संख्या तेइस हजार हैं।
शिवपुराण में श्लोकों की संख्या चौबीस हजार हैं।
श्रीमद्भावतपुराण में श्लोकों की संख्या अठारह हजार हैं।
नारदपुराण में श्लोकों की संख्या पच्चीस हजार हैं।
मार्कण्डेयपुराण में श्लोकों की संख्या नौ हजार हैं।
अग्निपुराण में श्लोकों की संख्या पन्द्रह हजार हैं।
भविष्यपुराण में श्लोकों की संख्या चौदह हजार पाँच सौ हैं।
ब्रह्मवैवर्तपुराण में श्लोकों की संख्या अठारह हजार हैं।
लिंगपुराण में श्लोकों की संख्या ग्यारह हजार हैं।
वाराहपुराण में श्लोकों की संख्या चौबीस हजार हैं।
स्कन्धपुराण में श्लोकों की संख्या इक्यासी हजार एक सौ हैं।
वामनपुराण में श्लोकों की संख्या दस हजार हैं।
कूर्मपुराण में श्लोकों की संख्या सत्रह हजार हैं।
मत्सयपुराण में श्लोकों की संख्या चौदह हजार हैं।
गरुड़पुराण में श्लोकों की संख्या उन्नीस हजार हैं।
ब्रह्माण्डपुराण में श्लोकों की संख्या बारह हजार हैं।

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